GI Tag: असम के ‘गमछा’ को मिली नई पहचान, GI टैग मिलने से बढ़ेगा यहां की कला और संस्कृति का मान

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नमस्कार दोस्तों मेरा नाम है कुलजीत  आप सभी को इस आर्टिकल में स्वागत है | इस आर्टिकल में आज आसाम की गामोचा के बारे में जानेंगे | तो इस आर्टिकल को आप एनटॉक जरूर पढ़ें | 

 

  • इस प्रोग्राम में हम चर्चा करेंगे असमिया गामोचा कि जिसको हाल ही में GI (जीआई टैग) मिला है | 
  • आसाम की संस्कृति और पहचान के प्रतीक गमूचा या गामोचा को पहला आवेदन किए जाने के 5 साल बाद केंद्र सरकार से भौगोलिक संकेतक या जीआई टैग मिला है | 

GI Tag: असम के ‘गमछा’ को मिली नई पहचान

गामोचा लाल किनारों और विभिन्न डिजाइनों और रूपांकन ओं के साथ एक हाथ से बुना हुआ आयताकार सूती कपड़ा है |

यह पारंपरिक रूप से बड़ों और मेहमानों को असमिया लोगों द्वारा सम्मान के रूप में पेश किया जाता है | 

गामोचा का शाब्दिक अर्थ एक तोलिया होता है और आमतौर पर असमिया घरों में दिन-प्रतिदिन के कामों में इसका उपयोग किया जाता है | 

यह राज्य में सभी सामाजिक धार्मिक समारोहों का एक अभिन्न अंग है और इसे असमिया पहचान और गौरव के रूप में माना जाता है | 

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विभिन्न उद्देश्य के लिए यह पारंपरिक असमिया पेठ रेशम जैसी महंगे सामग्री और विभिन्न रंगों में भी बनाया जाता है |

इसके अलावा बिहू उत्सव के दौरान आदान-प्रदान के लिए बने गामोचा को बिहुवान के नाम से भी जाना जाता है |

यह अनोखा स्कार्फ जो केवल असम में पाया जाता है |  वेदियों को सजाते समय या धार्मिक पुस्तकों को ढंकते समय भी श्रद्धा के प्रतीक के रूप में उपयोग किया जाता है |

GL Tag कब मिलता है और कैसे मिलता है? 

आपको बता दें कि हस्तशिल्प विकास संस्थान, गोलाघाट द्वारा वर्ष 2017 में  उसके GI (जी आई) टैग जी के लिए आवेदन दायर किया गया था | 

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मुख्य रूप से एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र से उत्पन्न होने वाले कृषि, प्राकृतिक या विनिर्मित उत्पादों, हस्तशिल्प और औद्योगिक मजदूरों के लिए GI (जी आई) टेक दिया जाता है |

दार्जिलिंग चाय भारत का पहला उत्पाद था जिसे 2004 में GI (जी आई) टैग प्रदान किया गया था और इसकी अवधि 10 वर्ष होती है | 

वस्तुओं को भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम 1999 के तहत देश में GI (जी आई) टैग प्रदान किया जाता है |

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